जैविक खाद तैयार करने की प्रमुख विधियों के बारे में जाने यहां

जैविक खाद तैयार करने की प्रमुख विधियों के बारे में जाने यहां

आज के समय में खेती को टिकाऊ और लाभदायक बनाने के लिए जैविक खेती (Organic Farming) को सबसे बेहतर विकल्प माना जा रहा है। रासायनिक खेती की तुलना में जैविक खेती न केवल उतना ही बल्कि कई बार अधिक उत्पादन देती है। इसके साथ ही मिट्टी की उर्वरता, जल धारण क्षमता और पर्यावरण संरक्षण में भी इसका अहम योगदान है। वर्षा आधारित क्षेत्रों में तो यह और भी अधिक लाभकारी सिद्ध होती है।

👉 जैविक खेती से उत्पादन लागत कम होती है और किसानों को अधिक मुनाफा मिलता है। इस खेती का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है – जैविक खाद (Organic Manure)। आइए जानते हैं जैविक खाद तैयार करने की प्रमुख विधियाँ।


1. बायोगैस स्लरी बनाने की विधि

बायोगैस संयंत्र से निकलने वाली गोबर गैस स्लरी (Biogas Slurry) सबसे प्रभावी जैविक खाद है।

  • बायोगैस संयंत्र में डाला गया लगभग 25% ठोस पदार्थ गैस में और 75% खाद में बदल जाता है।
  • एक 2 घनमीटर बायोगैस संयंत्र में सालभर में 18.25 टन गोबर डालने पर लगभग 10 टन स्लरी खाद मिलती है।
  • इसमें 1.5–2% नाइट्रोजन, 1% सल्फर और 1% पोटाश होता है।

बायोगैस स्लरी के लाभ:

  • यह फसल को तुरंत पोषण देती है और उत्पादन में 10–20% तक वृद्धि करती है।
  • इसमें ह्यूमस होने से मिट्टी की संरचना और जल धारण क्षमता सुधरती है।
  • सिंचित खेती के लिए 10 टन और असिंचित खेती के लिए 5 टन सूखी स्लरी की आवश्यकता होती है।
  • ताजी स्लरी का उपयोग सिंचाई के दौरान करने से पौधों को 3 साल तक धीरे-धीरे पोषक तत्व मिलते रहते हैं।

2. वर्मी कम्पोस्ट (Vermicompost)

वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने में केंचुए सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं। इन्हें “किसान का दोस्त” भी कहा जाता है।

  • केंचुए सेंद्रिय पदार्थों को खाकर उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर खाद में बदल देते हैं।
  • इससे मिट्टी की हवा और पानी धारण करने की क्षमता बढ़ती है।
  • वर्मी कम्पोस्ट में 2.5–3% नाइट्रोजन, 1.5–2% सल्फर और 1.5–2% पोटाश पाया जाता है।

वर्मी कम्पोस्ट के फायदे:

  • इसमें बदबू नहीं होती और मक्खी-मच्छर नहीं पनपते।
  • यह वातावरण को प्रदूषित नहीं करता।
  • लगभग 45–50% नमी बनाए रखने पर यह 1.5–2 महीने में तैयार हो जाता है।

वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विधि:

  1. सबसे पहले कचरे से कांच, धातु और पत्थर हटा दें।
  2. 10×4 फीट का प्लेटफार्म 6–12 इंच ऊंचा बनाएं और उस पर सूखा चारा, गोबर और कूड़ा डालकर अधपका खाद तैयार करें।
  3. झारे से 10–15 दिन तक हल्की सिंचाई करके तापमान नियंत्रित करें।
  4. इसके बाद 100 वर्ग फीट में लगभग 10,000 केंचुए डालें।
  5. खाद को जूट के बोरे से ढककर नमी बनाए रखें। ध्यान दें कि ज्यादा गीलापन हवा बंद कर देगा जिससे केंचुए मर सकते हैं।

निष्कर्ष

जैविक खाद की इन विधियों – बायोगैस स्लरी और वर्मी कम्पोस्ट – का उपयोग करके किसान न केवल मिट्टी की सेहत सुधार सकते हैं बल्कि उत्पादन लागत भी घटा सकते हैं। इससे फसल की गुणवत्ता और पैदावार दोनों बढ़ती हैं और खेती अधिक टिकाऊ बनती है।

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