भारत कृषि प्रधान देश है और यहां की बड़ी आबादी खेती पर निर्भर करती है। भारत की ज़्यादातर ज़मीन उपजाऊ है, वहीं जहाँ बंजर भूमि है वहाँ भी सरकार लगातार कृषि योजनाओं के ज़रिए खेती को बढ़ावा देती है। किसान उत्पादन बढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन कई बार उनकी फसलें जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं या वैश्विक संकटों के कारण प्रभावित हो जाती हैं। इसी समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए भारत सरकार ने एक नई योजना पर काम शुरू किया है, जिसका उद्देश्य है कि देश के अन्न भंडार हमेशा भरे रहें और किसी भी प्रकार के खाद्य संकट का सामना न करना पड़े।
घरेलू खाद्य संकट के निपटारे की ओर कदम
पिछले कुछ वर्षों में दुनिया ने कई संकट देखे हैं, जैसे कि –
- रूस-यूक्रेन युद्ध
- कोरोना महामारी
- जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक घटनाएँ
इन सबका सीधा असर भारत सहित दुनिया भर की खाद्य आपूर्ति और कीमतों पर पड़ा है। यही कारण है कि सरकार अब दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना पर काम कर रही है।
इस योजना के तहत कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की कई योजनाओं को आपस में जोड़ा जाएगा, ताकि खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाया जा सके।
साइलो भंडारण तकनीक का इस्तेमाल
इस योजना का सबसे बड़ा हिस्सा होगा साइलो भंडारण तकनीक। यह तकनीक पारंपरिक गोदामों से कहीं अधिक सुरक्षित और आधुनिक है।
- इसमें 12,500 टन भंडारण क्षमता वाले स्टील के टैंक बनाए जाते हैं।
- पारंपरिक भंडारण की तरह इसमें बोरी पर बोरी रखने की आवश्यकता नहीं होती।
- बारिश या प्राकृतिक आपदा के कारण अनाज खराब होने की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है।
- साइलो सिस्टम में लंबे समय तक अनाज सुरक्षित रखा जा सकता है।
यानी अब फसल बर्बादी और अनाज की कमी जैसी दिक्कतों को काफी हद तक खत्म किया जा सकेगा।
खाद्य सुरक्षा पर प्रधानमंत्री का ज़ोर
बाली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मौजूदा उर्वरक की कमी खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। ऐसे में भारत सरकार की यह नई अनाज भंडारण योजना भविष्य में किसानों और आम जनता दोनों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है।
क्यों है यह योजना महत्वपूर्ण?
- किसानों की फसलें अधिक सुरक्षित रहेंगी।
- प्राकृतिक आपदाओं से अनाज के नुकसान को कम किया जा सकेगा।
- खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी और घरेलू संकट का समाधान मिलेगा।
- वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति और मज़बूत होगी।

