बायो डी-कंपोजर: जैविक खेती के लिए उपयोग, लाभ और बनाने की विधि

बायो डी-कंपोजर: जैविक खेती के लिए उपयोग, लाभ और बनाने की विधि

किसान भाइयों, आजकल जैविक खेती (Organic Farming) की ओर किसानों का झुकाव लगातार बढ़ रहा है। मिट्टी की उर्वरकता को बनाए रखने, लागत कम करने और पर्यावरण को बचाने के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हीं तकनीकों में से एक है बायो डी-कंपोजर (Bio Decomposer)

बायो डी-कंपोजर एक तरह का सूक्ष्मजीवों (Microorganisms) का घोल होता है, जो फसल अवशेष (पराली), पत्तों और जैविक कचरे को तेजी से सड़ाकर खाद में बदल देता है। यह किसानों को पराली जलाने की समस्या से छुटकारा दिलाता है और खेत की मिट्टी को जैविक पोषण प्रदान करता है।


बायो डी-कंपोजर का उपयोग कहाँ और कैसे किया जाता है?

  • फसल अवशेष प्रबंधन – पराली और अन्य अवशेष को मिट्टी में मिलाने के बाद बायो डी-कंपोजर का छिड़काव करने से यह अवशेष 15–20 दिनों में सड़कर खाद में बदल जाते हैं।
  • जैविक खेती – रासायनिक खाद के बजाय खेतों में प्राकृतिक उर्वरक उपलब्ध कराने में सहायक।
  • कम्पोस्ट तैयार करने में – गोबर, पत्तियां और जैविक कचरे पर इसका प्रयोग करने से खाद जल्दी बनती है।
  • मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने में – मिट्टी में मौजूद कार्बनिक पदार्थों को तोड़कर पौधों के लिए पोषण उपलब्ध कराता है।

बायो डी-कंपोजर के लाभ

  1. पराली जलाने की समस्या का समाधान – पराली को जलाने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे प्रदूषण कम होता है।
  2. मिट्टी की उर्वरक क्षमता में वृद्धि – मिट्टी में जैविक तत्व बढ़ते हैं और फसल की पैदावार बेहतर होती है।
  3. कम लागत में खेती संभव – रासायनिक खाद की जरूरत कम होने से लागत घटती है।
  4. तेजी से कम्पोस्ट तैयार – अवशेष जल्दी खाद में बदलते हैं।
  5. पर्यावरण संरक्षण – खेतों और वायु प्रदूषण से बचाव होता है।
  6. कीट एवं रोग नियंत्रण में मदद – सड़ी हुई पराली खाद बन जाती है और रोग फैलाने वाले कीटों का प्रकोप घटता है।

बायो डी-कंपोजर बनाने की विधि

बायो डी-कंपोजर बनाना बहुत आसान है। इसे किसान खुद घर या खेत पर तैयार कर सकते हैं।

आवश्यक सामग्री
  • बायो डी-कंपोजर की 1 बोतल (ICAR – Pusa Institute से उपलब्ध)
  • गुड़ – 5 किलो
  • चना का आटा – 50 ग्राम
  • 25 लीटर पानी
  • 50 लीटर क्षमता वाला ड्रम
बनाने की प्रक्रिया
  1. सबसे पहले एक ड्रम में 25 लीटर पानी डालें।
  2. इसमें गुड़ और चना का आटा अच्छी तरह घोलें।
  3. अब इसमें बायो डी-कंपोजर की पूरी बोतल डालकर अच्छी तरह मिला लें।
  4. ड्रम को 7 दिन तक ढककर छांव वाली जगह पर रखें।
  5. प्रतिदिन ड्रम को लकड़ी की डंडी से हिलाएं ताकि सूक्ष्मजीव अच्छी तरह सक्रिय हो सकें।
  6. 7 दिन बाद आपका बायो डी-कंपोजर तैयार हो जाएगा।
इस्तेमाल करने की विधि
  • तैयार घोल को 25–30 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  • इसे पराली या अन्य अवशेषों पर छिड़क कर हल्की सिंचाई करें।
  • 15–20 दिन में पराली खाद में बदल जाएगी।

किसानों के लिए खास संदेश

बायो डी-कंपोजर न सिर्फ जैविक खेती के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह किसानों को पराली जलाने की समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। इससे खेती की लागत घटती है, मिट्टी की सेहत सुधरती है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है। अगर किसान भाई नियमित रूप से इसका उपयोग करें तो उन्हें लंबे समय तक इसका लाभ मिलेगा।

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