भारत की कृषि परंपरा सदियों से न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है बल्कि यह हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन की आत्मा भी रही है। आज जब जलवायु संकट, बढ़ती जनसंख्या और प्राकृतिक संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियाँ सामने हैं, तब कृषि जगत में तकनीकी प्रगति और नवाचार की लहर नई दिशा दे रही है।
तकनीकी क्रांति से बदलती खेती की पहचान
पारंपरिक हल और बैलों पर आधारित खेती अब धीरे-धीरे स्मार्ट खेती (Precision Farming) में बदल रही है।
- किसान अब ड्रोन, स्मार्टफोन और सैटेलाइट तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं।
- उर्वरक, कीटनाशक और पानी का मापित उपयोग संभव हो रहा है।
- एग्रीटेक स्टार्टअप्स किसानों को डिजिटल सहायता, फसल सलाह और ऑनलाइन बाज़ार तक पहुँच उपलब्ध करा रहे हैं।
इस बदलाव से न केवल उत्पादन लागत घट रही है बल्कि पैदावार और गुणवत्ता दोनों बढ़ रही हैं।
जैविक खेती की ओर बढ़ती जागरूकता
आज उपभोक्ता स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति सजग हो चुका है। इसी कारण भारत में जैविक खेती (Organic Farming) तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
- सिक्किम भारत का पहला पूर्ण जैविक राज्य बना।
- उत्तराखंड, केरल और मध्यप्रदेश जैसे राज्य भी इस दिशा में प्रगति कर रहे हैं।
- घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में जैविक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है।
जलवायु संकट और टिकाऊ समाधान
बदलते मौसम और जलवायु संकट ने खेती के तौर-तरीकों को बदलने पर मजबूर किया है।
- किसान अब मोटे अनाज (Millets) जैसे ज्वार, बाजरा और रागी को प्राथमिकता दे रहे हैं।
- ड्रिप सिंचाई, वर्षा जल संचयन और मृदा परीक्षण कार्ड जैसी सरकारी योजनाएँ टिकाऊ खेती को बढ़ावा दे रही हैं।
- कम संसाधनों में अधिक उत्पादन करने वाली नई किस्में और तकनीकें किसानों को सहारा दे रही हैं।
युवाओं और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
भारतीय खेती अब केवल बुजुर्ग किसानों तक सीमित नहीं रही।
- युवा वर्ग आधुनिक तकनीक और उद्यमशीलता को अपनाकर खेती को Agri-Business के रूप में देख रहा है।
- महिलाएं किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के ज़रिए सामूहिक खेती और जैविक उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री कर रही हैं।
- यह भागीदारी खेती को लाभकारी और नवाचारी बना रही है।
भविष्य की ओर एक नया कदम
भारतीय कृषि एक ऐसे दौर में है जहाँ परंपरा और तकनीक मिलकर नई क्रांति का निर्माण कर रहे हैं।
- आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते इस सफर में तकनीक, प्रशिक्षण और बाज़ार तक पहुंच अहम भूमिका निभाएंगे।
- पर्यावरण-संवेदनशील खेती और सतत कृषि पद्धतियाँ आने वाले समय में नई हरित क्रांति का आधार बनेंगी।


