भारत में पाई जाने वाली सभी देसी गायों में साहिवाल नस्ल को सबसे अधिक दूध देने वाली गाय माना जाता है। यह नस्ल मूल रूप से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहिवाल जिले से जुड़ी हुई है और भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब के कई हिस्सों में पाई जाती है। अपनी दूध उत्पादन क्षमता, सहनशीलता और मजबूत बनावट के कारण इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता मिली है।
साहिवाल गाय की प्रमुख विशेषताएँ
- शारीरिक बनावट – साहिवाल गाय मध्यम से बड़ी कद-काठी की होती है। इसका रंग हल्का भूरा से लेकर गहरा लाल होता है, जिस पर सफेद धब्बे भी पाए जा सकते हैं।
- स्वभाव – यह गाय शांत, सरल और देखभाल में आसान होती है।
- जलवायु सहनशीलता – गर्म और नमीयुक्त वातावरण में भी बेहतर प्रदर्शन करती है।
- प्रजनन क्षमता – साहिवाल गाय का बछड़ा देने का अंतराल अन्य नस्लों की तुलना में कम होता है।
साहिवाल गाय का दूध उत्पादन
- औसत दुग्ध उत्पादन – 2,700 से 3,500 किलोग्राम प्रति दुग्धकाल।
- दैनिक दूध उत्पादन – औसतन 10 से 15 लीटर प्रतिदिन।
- अधिकतम उत्पादन – कुछ गायें 20 लीटर से अधिक प्रतिदिन दूध दे सकती हैं।
- दूध में वसा की मात्रा – 4.5% से 5.5% तक, जो इसे पोषक और स्वास्थ्यवर्धक बनाती है।
उपयोगिता और महत्व
- दुग्ध उत्पादन – साहिवाल नस्ल भारतीय किसानों की दुग्ध अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- क्रॉसब्रीडिंग – इसे अन्य विदेशी नस्लों के साथ क्रॉस करके दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में उपयोग किया जाता है।
- कम खर्चीली देखभाल – साधारण चारे और वातावरण में भी अच्छी तरह पल सकती है।
- ग्रामीण आजीविका – दूध के साथ-साथ गोबर और मूत्र का उपयोग जैविक खेती और ईंधन के रूप में किया जाता है।
निष्कर्ष
साहिवाल गाय भारत की सबसे अधिक दूध उत्पादन करने वाली देसी गाय की नस्ल है। इसकी विशेषताएँ जैसे – अधिक दूध उत्पादन, उच्च वसा वाला दूध, सहनशीलता और आसान देखभाल – इसे किसानों के लिए सबसे उपयुक्त बनाती हैं। यही कारण है कि साहिवाल नस्ल न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी सबसे लोकप्रिय देसी गायों में से एक है।


