गेहूं भारत की सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसलों में से एक है, लेकिन इसकी खेती के दौरान खरपतवार (Weeds) सबसे बड़ी चुनौती बन जाते हैं। खरपतवार न केवल गेहूं की उपज को कम करते हैं बल्कि मिट्टी से आवश्यक पोषक तत्व, पानी और सूर्य की रोशनी भी छीन लेते हैं। इस कारण किसानों को उत्पादन में भारी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में, समय पर और सही तरीके से खरपतवार नियंत्रण करना बेहद ज़रूरी हो जाता है।
गेहूं में खरपतवार नियंत्रण क्यों ज़रूरी है?
खरपतवार फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं और यदि इन्हें समय पर नियंत्रित न किया जाए तो यह उपज को 25–30% तक घटा सकते हैं। कुछ खरपतवार तो गेहूं की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
गेहूं में रासायनिक खरपतवार नियंत्रण
आज के समय में रासायनिक खरपतवार नियंत्रण (Chemical Weed Control) को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि:
- यह कम लागत और कम समय में प्रभावी होता है।
- फसल को यांत्रिक क्षति नहीं होती।
- पंक्तियों के बीच और भीतर दोनों जगह के खरपतवारों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
सही शाकनाशी (Herbicide) का चयन खरपतवार की किस्म पर निर्भर करता है। उचित मात्रा और समय पर छिड़काव करके अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
गेहूं बिजाई के तुरंत बाद खरपतवार नियंत्रण
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों का मानना है कि गेहूं बुवाई के 3 दिन बाद यदि किसान पाईरोक्सा सल्फोन 60 ग्राम/एकड़ को 150–200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें तो मंसी, जंगली जेई और लोमड़ घास जैसे खरपतवारों पर प्रभावी नियंत्रण हो सकता है।
👉 यदि बुवाई के तुरंत बाद खरपतवार उग जाते हैं तो उपज पर गहरा असर पड़ता है। इसलिए समय पर नियंत्रण आवश्यक है।
चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवारों का नियंत्रण
गेहूं में चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवार उपज को खासा नुकसान पहुंचाते हैं। इनके नियंत्रण के लिए:
- 2,4-डी दवा – 200 ग्राम/एकड़
- मेटसल्फ्यूरॉन – 1.6 ग्राम/एकड़
- कारफेंट्राजोन – 8 ग्राम/एकड़
इन दवाओं को 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जा सकता है।
संकरी पत्तियों वाले खरपतवार (घास) का नियंत्रण
गेहूं की सबसे खतरनाक घास फालारिस माइनर (Phalaris Minor – मंडूसी) है। इसके नियंत्रण के लिए:
- क्लोडिनॉफॉप – 24 ग्राम/एकड़
- फेनोक्साप्रोप – 40 ग्राम/एकड़
- पायरीफॉक्सिफेन – 10 ग्राम/एकड़
इनका छिड़काव करना चाहिए।
मिश्रित खरपतवारों का नियंत्रण
यदि खेत में चौड़ी और संकरी पत्तियों वाले दोनों प्रकार के खरपतवार हैं तो मिश्रित दवाओं का प्रयोग करना चाहिए।
- 2,4-डी या मेटसल्फ्यूरॉन को क्लोडिनॉफॉप या आईसोप्रोटोरोन के साथ मिलाकर बोआई के 30–35 दिन बाद छिड़काव करने से बेहतरीन परिणाम मिलते हैं।
किसानों के लिए सुझाव
- खरपतवार नियंत्रण के लिए हमेशा वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई दवाओं और तकनीकों का ही इस्तेमाल करें।
- दवा छिड़काव करते समय मिट्टी में नमी होनी चाहिए।
- छिड़काव सुबह या शाम के समय करना बेहतर होता है।
- हाथ से निराई-गुड़ाई करने से पहले खरपतवार की पहचान करें और सही समय पर नियंत्रण करें।
निष्कर्ष
गेहूं की खेती में खरपतवार नियंत्रण उत्पादन और गुणवत्ता दोनों के लिए ज़रूरी है। समय पर दवा का छिड़काव, सही तकनीक और खरपतवार की सही पहचान करके किसान अपनी उपज में 20–30% तक की बढ़ोतरी कर सकते हैं।


