कृषि विभाग धान की सिफारिशें

धान की बुवाई के लिए कृषि विभाग की अहम सलाह

धान भारत में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है और किसानों की आय का एक प्रमुख साधन भी। इस वर्ष अधिक पैदावार को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग ने धान की बुवाई से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं। सही खेत तैयारी और बीज उपचार से न केवल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है बल्कि फसल को बीमारियों और कीटों से भी सुरक्षित रखा जा सकता है।


खेत की तैयारी कैसे करें?

धान बोने से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करना जरूरी है। इससे मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और बीज का अंकुरण आसानी से होता है।

  • प्रति कट्ठा (लगभग 3 डिसमिल) में 1.5 किलो DAP और 2 किलो पोटाश मिलाएं।
  • मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए 10 किलो वर्मी कंपोस्ट, 2–3 किलो नीम खली और सड़ी हुई गोबर खाद डालें।
  • सब कुछ मिलाने के बाद खेत को समतल कर छोटे-छोटे बेड (क्यारियां) बनाएं और उनमें बीज डालें।

बीज उपचार का महत्व

बीज उपचार फसल की अच्छी शुरुआत के लिए आवश्यक है। इससे बीज फफूंद और कीटों से बचा रहता है और अंकुरण दर बढ़ जाती है।

  • 30 किलो धान बीज को 100 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और 6 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन मिलाकर बने घोल में 5–6 घंटे भिगोएं।
  • बीजों को कीड़ों से बचाने के लिए 250 मिली क्लोरपाइरिफॉस (20%) का छिड़काव करें।
  • उपचारित बीजों को छायादार जगह पर प्लास्टिक शीट पर फैलाकर गीले जूट बोरे से ढक कर रखें।

खरपतवार नियंत्रण

धान की नर्सरी में उगने वाली खरपतवार पौधों से पोषण छीन लेती हैं। इनके नियंत्रण के लिए पाइराजोसल्फ्यूरान ईथाइल नामक घुलनशील चूर्ण का उपयोग किया जा सकता है। इसे पानी और बालू में मिलाकर नर्सरी से पहले खेत में छिड़कें।


किसानों के लिए अतिरिक्त सहारा

धान की खेती से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार कई कृषि योजनाएं चला रही है। अगर किसी प्राकृतिक कारण से फसल को नुकसान होता है तो किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं और आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं।


निष्कर्ष

धान की खेती से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए खेत की सही तैयारी, बीज उपचार और खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। कृषि विभाग की इन सलाहों का पालन करके किसान बेहतर पैदावार ले सकते हैं और अपनी आय को दोगुना करने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

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