हाइड्रोपोनिक चारा विधि से बना सकते हैं पशुओं के लिए पौष्टिक हरा चारा

हाइड्रोपोनिक चारा विधि से बना सकते हैं पशुओं के लिए पौष्टिक हरा चारा

पशुओं से अधिक दूध उत्पादन और उनकी बेहतर सेहत के लिए हरे चारे का नियमित रूप से उपलब्ध होना जरूरी है। लेकिन जमीन और पानी की कमी के कारण किसान पूरे साल भर पर्याप्त हरा चारा उपलब्ध नहीं करा पाते। यही वजह है कि हाइड्रोपोनिक चारा विधि (Hydroponic Fodder System) आज पशुपालन में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इस विधि में बिना मिट्टी और बेहद कम पानी का इस्तेमाल करके सिर्फ 6–7 दिनों में पौष्टिक हरा चारा तैयार किया जा सकता है।


हाइड्रोपोनिक चारे के फायदे

  1. पोषण मूल्य (Nutrient Value): इसमें पारंपरिक सूखे चारे की तुलना में अधिक विटामिन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं।
  2. त्वरित वृद्धि (Quick Growth): पारंपरिक चारा जहाँ 2 महीने में तैयार होता है, वहीं हाइड्रोपोनिक चारा सिर्फ 7 दिनों में तैयार हो जाता है।
  3. कम जल की खपत (Low Water Requirement): केवल 3–4 लीटर पानी में 1 किलो चारा तैयार किया जा सकता है, जबकि पारंपरिक विधि में 70–100 लीटर पानी लगता है।
  4. नियमित उत्पादन (Year-round Production): कम संसाधनों के बावजूद इसे पूरे साल उगाया जा सकता है।
  5. बिना रसायन के (Chemical-Free): इसमें किसी भी प्रकार के रसायन या कीटनाशक की जरूरत नहीं होती।
  6. कम मजदूरी और खर्च (Low Labor & Cost): चारा सीधे पशु शेड के पास तैयार किया जा सकता है, जिससे परिवहन और श्रम लागत घटती है।

हाइड्रोपोनिक चारा प्रणाली की संरचना

  • तापमान और आर्द्रता: 15–32°C तापमान और 80–85% नमी उपयुक्त रहती है।
  • शेड: साधारण शेडनेट या लो-कॉस्ट ग्रीनहाउस पर्याप्त है।
  • आकार: 10×10 फीट का शेड छोटा स्तर पर पर्याप्त है।
  • ट्रे: 1.5×3 फीट की मजबूत प्लास्टिक ट्रे उपयोग करें।
  • रैक: 3–4 परतों वाला रैक बनाएं।
  • जल निकासी: ट्रे में छेद और ड्रेनेज लाइन जरूरी है।

हाइड्रोपोनिक चारा उगाने की प्रक्रिया

  1. बीज चयन: मक्का, गेहूं या चने के बीज लें। (ज्वार और बाजरा न लें, इनमें विषाक्तता होती है।)
  2. भिगोना: बीजों को गुनगुने पानी में 12 घंटे भिगोएं और हल्का नमक मिलाकर फफूंदी से बचाव करें।
  3. अंकुरण: 24 घंटे बोरी में रखकर अंकुरित करें।
  4. ट्रे में फैलाना: अंकुरित बीजों को ट्रे में समान रूप से फैलाकर रैक में रखें।
  5. सिंचाई: गर्मी में हर 2 घंटे और ठंड में 4 घंटे के अंतराल पर हल्की फुहार दें।
  6. सफाई: फफूंदी रोकने के लिए शेड की सफाई करें।

👉 1 किलो मक्का से 7 दिनों में लगभग 8 किलो हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है।


हाइड्रोपोनिक चारा खिलाने का तरीका

  • 6–7 दिनों में तैयार चारा छोटे टुकड़ों में काटकर पशुओं को दें।
  • 9 दिन से ज्यादा ट्रे में चारा न रखें, वरना पौष्टिकता घटने लगती है।
  • इसे सूखे चारे या अन्य चारे के साथ मिलाकर खिलाना सबसे बेहतर होता है।

निष्कर्ष

हाइड्रोपोनिक चारा विधि पशुपालकों के लिए एक किफायती, टिकाऊ और पोषण से भरपूर विकल्प है। यह न केवल कम समय और कम संसाधनों में अधिक उत्पादन देता है, बल्कि पशुओं के दूध उत्पादन और सेहत को भी बेहतर बनाता है। यदि आप पूरे साल पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराना चाहते हैं, तो हाइड्रोपोनिक चारा विधि जरूर अपनाएं।

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